नीरज के गीत - Neeraj Ke Geet

by Sanju 2010-04-24 11:44:29

नीरज के गीत - Neeraj Ke Geet



अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए
जिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए

आग बहती है यहाँ, गंगा में, झेलम में भी
कोई बतलाए, कहाँ जाकर नहाया जाए

मेरा मकसद है के महफिल रहे रोशन यूँही
खून चाहे मेरा, दीपों में जलाया जाए

मेरे दुख-दर्द का, तुझपर हो असर कुछ ऐसा
मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी ना खाया जाए

जिस्म दो होके भी, दिल एक हो अपने ऐसे
मेरा आँसू, तेरी पलकों से उठाया जाए

गीत गुमसुम है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी
ऐसे माहौल में,‘नीरज’ को बुलाया जाए

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