History of Extrasensory Perception ESP - अतीन्द्रिय बोध का इतिहास

by Geethalakshmi 2010-02-15 00:03:51

History of Extrasensory Perception ESP - अतीन्द्रिय बोध का इतिहास


# Sir Richard Burton, a Fellow of the Royal Geographical Society, first time used the term ESP in 1870. Thereafter the word ESP was again used in 1870 by a French researcher. Dr. Paul Joire, in 1892 in connection with describing the ability of hypnotized person or person under trance. There is a common belief that a hypnotized person would be able to demonstrate ESP.

सन् 1870 में जियोलाजिकल सोसाइटी के फैलो सर रिचार्ड बर्टन ने सर्वप्रथम अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग किया। पुनः 1870 में ही अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग प्रांसीसी शोधकर्ता के द्वारा किया गया। सन् 1892 में डॉ. पाल जोरी के द्वारा इस शब्द का प्रयोग सम्मोहन से प्रभावित व्यक्तियों के वर्णन के लिये किया गया। यह एक सामान्य विश्वास है कि सम्मोहन से प्रभावित व्यक्ति अतीन्द्रिय बोध का प्रदर्शन करता है।

# Dr. Rudolph Tischner, a Munich ophthalmologist, again used the name ESP In the 1920's in the description of the "externalization of sensibility".

म्युनिख के आप्थालमोलाजिस्ट डॉ. रुडोल्फ टिश्नर ने "चैतन्यता के भौतिकीकरण" के लिये सन् 1920 के दशक में अतीन्द्रिय बोध शब्द का प्रयोग किया।

# Finally, in 1930, Extrasensory Perception (ESP) was popularized by the American parapsychologist J. B. Rhine to include psychic phenomena similar to sensory functions. Rhine was among the first parapsychologists to test ESP phenomena in the laboratory. General Views about ESP

अंततः सन् 1930 में अमेरिका के परामनोवैज्ञानिक जे.बी. रिने ने अतीन्द्रिय बोध शब्द को लोकप्रिय बना दिया। रिने ही पहले परामनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने अतीन्द्रिय बोध पर प्रयोगशाला में अनेकों प्रयोग किये।

# Evidences and demonstrations reveal that ESP does exist, but it is very difficult to explain it by physical laws.

अतीन्द्रिय बोध के प्रदर्शनों से ज्ञात होता है कि भौतिक नियमों के द्वारा इसकी व्याख्या करना अत्यन्त दुष्कर है।
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